बल (Force) बल (Force) :- बल वह राशि है जो कण या पिण्ड को गतिशील या विरामावस्था को को परिवर्तित कर दे अथवा परिवर्...
बल (Force)
बल (Force) :-
बल वह राशि है जो कण या पिण्ड को गतिशील या विरामावस्था को को परिवर्तित कर दे अथवा परिवर्तित करने की प्रकृति रखता हो। बल एक सदिस राशि होती है इसका परिणाम बल का परिणाम एवं सदिश की दिशा बल की दिशा कहलाती है। सदिश का प्रारम्भिक बिन्दु बल का क्रिया बिन्दु एवं सदिश की रेखा बल की क्रिया रेखा कहलाती है।
(1.) समतलीय एवं संगामी बल (Coplanar And Concurrent Forces):-
(a.) समतलीय बल (Coplanar Force):-
वे बल जिनकी क्रिया रेखाऐं एक ही तल में विद्यमान हो, समतलीय बल कहलाते है।
(b.) संगामी बल (Concurrent Force) :-
वे बल जिनकी रेखाऐं एक बिन्दु पर मिलती है, संगामी बल कहलाता है।
बलों के प्रकार :-
1. आकर्षण एवं प्रतिकर्षण बल (Attraction And Repulsion Forces) :-
(a.) आकर्षण बल (Arrraction Force) :-
वह बल जिसके प्रभाव से दो स्वतंत्र पिण्ड बिना किसी द्रव्यमान तंत्र के एक दुसरे के समीप आ जाते है, आकर्षण बल कहलाता है।
(a.) प्रतिकर्षण बल (Repulsion Force) :-
वह बल जिसके प्रभाव से दो स्वतंत्र पिण्ड बिना किसी द्रव्यमान तंत्र के एक दुसरे से दूर हटते है, प्रतिकर्षण बल कहलाता है।
2. क्रिया एवं प्रतिक्रिया बल (Action And Reaction Force):-
(a.) क्रिया बल (Action Force) :-
जब एक पिण्ड दूसरे पिण्ड पर दबाव डालता है तो दोनों पिण्डों के स्पर्श बिन्दु पर प्रथम पिण्ड द्वारा द्वितीय पिण्ड पर डाले गये बल को क्रिया कहते है।
(b.) प्रतिक्रिया बल (Reaction Force) :-
द्वितीय पिण्ड द्वारा डाले गये पिण्ड को प्रतिक्रिया कहते है।
न्यूटन के तृतीय नियमानुसार क्रिया एवं प्रतिक्रिया बल परिमाण में बराबर व दिशाओं में विपरीत होते है।
3. तनाव एवं प्रणोद बल (Tension And Thrust Force) :-
(a.) तनाव बल (Tension Force) :-
यदि किसी डोरी के एक सिरे को बांधकर दूसरे सिरे को खिंचा जाए तो डोरी में उत्पन्न खिंचाव बल को तनाव कहते है।
(b.) प्रणोद बल (Thrust Force) :-