-: परमार वंश :- -: (Parmar dynasty) :- परमार वंश (Parmar dynasty) :- मुंज :- इन्होनें 997 ई. में परमार के आहड़, च...
-: परमार वंश :-
-: (Parmar dynasty) :-
मुंज :-
इन्होनें 997 ई. में परमार के आहड़, चितौड़, इन्द्रावती ‘आबू‘ , किराड़ू ‘बाड़मेर‘ , अर्थूना ‘बाॅंसवाड़ा‘ पर अधिकार किया। ये विद्वानों के संरक्षक के रूप में जाने जाते है।
परमारों का मूल स्थान मालवा माना जाता है।
भोज ‘1000-1055 ई.‘:-
परमार वंश का योग्य और प्रतापी शासक।
उपनाम कविराज
चिकित्सा, विज्ञान, खगोलशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि विषयों पर 20 से अधिक ग्रन्थों की रचना की।
भोज द्वारा लिखित ग्रन्थ समरांगणसूत्रधार ‘शिल्पशास्त्र‘ , सरस्वती कण्ठाभरण , श्रंगार प्रकाश ‘अलंकार शास्त्र‘ , पतंजलीयोगसूत्रवृति ‘योगशास्त्र‘ , कूर्मशतक , चम्पूरामायण, श्रृंगारमंजरी ‘काव्य नाटक‘, आयुर्वेद सर्वस्व, तत्व प्रकाश ‘शैव ग्रन्थ‘, नाममालिका, शब्दानुशासन, सिद्धान्त संग्रह, राजा-मार्तण्ड, विद्या-विनोद, युक्ति-कल्पतरू, चारू चर्चा, आदित्य-प्रताप सिद्धान्त आदि।
भोज ने कवि भास्कर भट्ट को विद्यापति की उपाधि प्रदान की।
अरूंधति भोज की पत्नी, प्रसिद्ध विदुषी थी।
संस्कृत साहित्य में भोज का नाम अमर है। भोज प्रत्येक कवि को प्रत्येक श्लोक के लिये एक लाख रूपये देता था। भोज के दरबार में भास्कर भट्ट, दामोदर मिश्र, उवत और धनपाल जैसे विद्वान थे।
धारा भोज ने परमारों की राजधानी उज्जयिनी के स्थान पर धारा को राजधानी बनाया।
धारा का लौह स्तम्भ भोज के शासनकाल में निर्मित।
भोज ने धारा नगरी के चैराहों पर चैरासी मंदिर बनवाये जिनमें सबसे प्रमुख शारदा सदन था।
विभुनारायण का मंदिर भोज ने चितौड़गढ में इस भव्य शिव मंदिर की स्थापना की।
भोज ने केदारेश्वर, रामेश्वर तथा सोमनाथ के मंदिर का निर्माण करवाया।
भोज ने बिहार में भोजपुर नगर एवं भोजसागर नामक तालाब का निर्माण करवाया।
भोजपुर के निकट उसने 250 वर्ग मील के क्षेत्र में एक विशाल झील का निर्माण कराया।