प्रतिहार वंश (Pratishan dynasty) प्रतिहार वंश :- प्रतिहारों की तुलना मौर्य, गुप्त व मुगल शासकों से की जाती है, इन्होनें अरब आक्र...
प्रतिहार वंश (Pratishan dynasty)
प्रतिहार वंश :-
प्रतिहारों की तुलना मौर्य, गुप्त व मुगल शासकों से की जाती है, इन्होनें अरब आक्रमणकारियों से मुकाबला कर कुछ समय के लिये भारत की सम्भावित दासता को टाल दिया।
8 वीं व 10 वीं शताब्दी तक सम्पूर्ण प्रदेश गुर्जरत्रा के नाम से जाना जाता था।
प्रतिहार गुर्जर क्षेत्र के शासक होने के कारण ये गुर्जर नाम से जाने जाते थे। नैणसी ने 26 प्रतिहार शाखाओं का उल्लेख किया है। जिनमें मुख्य दो शाखाऐं है मण्डौर शाखा एवं भीनमाल शाखा।
मण्डौर शाखा:- इस वंश के प्रतापी शासक नागभट्ट ने अपनी राजधानी मण्डौर से परिवर्तित करके मेड़ता को बनाया।
भीनमाल शाखा :- इस वंश के शासक नागभट्ट द्वितीय ने प्रतिहार-पाल-राष्ट्रकूट संघर्ष में प्रतिहारों का प्रतिनिधित्व किया।
मिहिर भोज (836-866 ई) :- भोज-प्रथम, प्रभास, आदिवराह-मिहिर भोज को प्राप्त उपाधियां।
प्रतिहारों का सबसे शक्तिशाली शासक।
भोज द्वारा रचित ग्रन्थ - श्रृंगार।
इसकी राजनीतिक तथा सैनिक सफलताओं का उल्लेख कल्हण की राजतरंगिणी के अलावा अरब यात्री सुलेमान ने भी किया है।
सुलेमान भोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु व अरबों के प्रति शत्रु भाव रखने वाला बताया गया है।
सुलेमान के अनुसार ‘‘इस राजा के पास बहुत बड़ी सेना है और अन्य किसी दूसरे राजा के पास उसकी जैसी अश्व सैना नहीं है। वह अरबों का शत्रु है। भारतवर्ष के राजाओं में उससे बढकर इस्लाम का कोई दूसरा शत्रु नहीं है।
महेन्द्र पाल :- (890-910 ई) :- इनके समय राजशेखर दरबारी कवि ने बाल भारत, बाल रामायण, कर्पूर मंजरी आदि ग्रन्थों की रचना की।