चैहान वंश (Chouhan Vansh) (Indian History) चौहान वंश (Chouhan Vansh) :- शाकम्भरी के चौहान :- ...
चैहान वंश (Chouhan Vansh)
(Indian History)
चौहान वंश (Chouhan Vansh) :-
शाकम्भरी के चौहान :-
वासुदेव चौहान ने 551 ई. में इस वंश की स्थापना की। वासुदेव चौहान ने साम्भर झील का निर्माण करवाया। इसका प्रमाण 1170 ई. में स्थापित बिजोलिया शिलालेख है।
चौहान वंश की अनेक शाखाऐं थी। इनमें सबसे प्रसिद्ध शाकम्भरी की शाखा थी। शाकम्भरी का समीकरण आधुनिक अजमेर के उत्तर में साम्भर नगर से लिया जाता है।
इस वंश के प्रारम्भिक शासक गुर्जर-प्रतिहारों के सामन्त के रूप में राज्य करते थे।
वाकपतिराज प्रथम :- 10 वीं शताब्दी के आरम्भ में वाकपतिराज प्रथम ने प्रतिहारों से अपने को स्वतंत्र कर लिया।
अजयराज :- 1113 ई. में अजमेर नगर की स्थापना की इन्होने तुर्की आक्रमणकारियों को पराजित किया।
विग्रहराज चतुर्थ :- चौहानों की शक्ति का सबसे अधिक विस्तार इसी के समय में हुआ। उसने दिल्ली और हाॅंसी पर कब्जा किया तथा तुर्की आक्रमणकारियों को परास्त किया।
प्रथ्वीराज तृतीय / रायपिथौरा :- पृथ्वीराज चौहान तृतीय अपने पिता सोमेश्वर की मृत्यु के बाद 11 वर्ष की अवस्था में शासक बना। चौहान वंश के अंतिम शासक एवं भारत के अंतिम हिन्दु सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने चालुक्यों एवं चन्देलों से युद्ध किया। पृथ्वीराज ने बुन्देलखण्ड के चन्देल शासक परमार्दिदेव को परास्त किया। इसी युद्ध में दो चन्देल वीर योद्धा आल्हा-उदल में से उदल मारा गया।
इनकी माता का नाम कर्पूरी देवी था।
चन्दबरदाई लोकसभा के प्रसिद्ध कवि, चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय के राजकवि एवं मित्र थे। इन्होनें पृथ्वीराज रासो ग्रन्थ की रचना की जिसे हिन्दी भाषा का प्रथम महाकाव्य कहा जा सकता है।
शेख हमीदुद्दीन नागौरी 1276 ई. में चिश्ती मत के प्रसिद्ध सन्त नागौर आकर बसे। एक किसान का सादा जीवन अपनाया।
रणथम्भार के चौहान :-
इसकी स्थापना पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र गोविन्दराज ने रणथम्भौर में 1194 ई. में चौहान वंश की नींव डाली। पृथ्वीराज चौहान के पुत्र गोविन्दराज के लिये मोहम्मद गौरी ने अपने दास कुतुबुद्धीन ऐबक को उसकी सुरक्षा के लिये नियुक्त किया जो कालान्तर में दास वंश का पहला शासक बना।
हम्मीर देव :- रणथम्भौर के प्रतापी शासक हम्मीर देव के साथ अलाउद्दीन खिलजी ने 16 युद्ध किये।
जालौर के चौहान :-
संस्थापक कीर्तिपाल या कीतू।
कान्हड़दे जालौर के शासकों में सबसे प्रतापी शासक।
हाड़ौती के चौहान :-
राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी भाग को हाड़ौती अंचल कहा जाता है।
1241 ई. में देवी सिंह ने बूॅंदा मीण को हराकर बूॅंदी और देवी सिंह के पुत्र समर सिंह ने कोटिया भील को हराकर कोटा राज्य की स्थापना की।
अजयराज :- 1113 ई. में अजमेर नगर की स्थापना की इन्होने तुर्की आक्रमणकारियों को पराजित किया।
विग्रहराज चतुर्थ :- चौहानों की शक्ति का सबसे अधिक विस्तार इसी के समय में हुआ। उसने दिल्ली और हाॅंसी पर कब्जा किया तथा तुर्की आक्रमणकारियों को परास्त किया।
प्रथ्वीराज तृतीय / रायपिथौरा :- पृथ्वीराज चौहान तृतीय अपने पिता सोमेश्वर की मृत्यु के बाद 11 वर्ष की अवस्था में शासक बना। चौहान वंश के अंतिम शासक एवं भारत के अंतिम हिन्दु सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने चालुक्यों एवं चन्देलों से युद्ध किया। पृथ्वीराज ने बुन्देलखण्ड के चन्देल शासक परमार्दिदेव को परास्त किया। इसी युद्ध में दो चन्देल वीर योद्धा आल्हा-उदल में से उदल मारा गया।
इनकी माता का नाम कर्पूरी देवी था।
चन्दबरदाई लोकसभा के प्रसिद्ध कवि, चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय के राजकवि एवं मित्र थे। इन्होनें पृथ्वीराज रासो ग्रन्थ की रचना की जिसे हिन्दी भाषा का प्रथम महाकाव्य कहा जा सकता है।
शेख हमीदुद्दीन नागौरी 1276 ई. में चिश्ती मत के प्रसिद्ध सन्त नागौर आकर बसे। एक किसान का सादा जीवन अपनाया।
रणथम्भार के चौहान :-
इसकी स्थापना पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र गोविन्दराज ने रणथम्भौर में 1194 ई. में चौहान वंश की नींव डाली। पृथ्वीराज चौहान के पुत्र गोविन्दराज के लिये मोहम्मद गौरी ने अपने दास कुतुबुद्धीन ऐबक को उसकी सुरक्षा के लिये नियुक्त किया जो कालान्तर में दास वंश का पहला शासक बना।
हम्मीर देव :- रणथम्भौर के प्रतापी शासक हम्मीर देव के साथ अलाउद्दीन खिलजी ने 16 युद्ध किये।
जालौर के चौहान :-
संस्थापक कीर्तिपाल या कीतू।
कान्हड़दे जालौर के शासकों में सबसे प्रतापी शासक।
हाड़ौती के चौहान :-
राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी भाग को हाड़ौती अंचल कहा जाता है।
1241 ई. में देवी सिंह ने बूॅंदा मीण को हराकर बूॅंदी और देवी सिंह के पुत्र समर सिंह ने कोटिया भील को हराकर कोटा राज्य की स्थापना की।