जीगलर-नाटा बहुलकीकरण (Ziegler-Natta Polymerization) (Ncert Solution) Chemistry जीगलर-नाटा बहुलकीकरण :- ...
जीगलर-नाटा बहुलकीकरण
(Ziegler-Natta Polymerization)
(Ncert Solution)
Chemistry
जीगलर-नाटा बहुलकीकरण :-
कार्ल जिग्लर तथा ग्यूलियोनाटा नामक वैज्ञानिकों ने बहुलीकरण के लिये नये प्रकार के कार्बधात्विक उत्प्रेरक का प्रयोग किया, जिसके लिये दोनों को संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार 1963 में दिया गया।
इस विधि में प्रयुक्त होने वाले विशेष उत्प्रेरक संक्रमण धातु लवण तथा सहउत्प्रेरक के रूप में एल्किल धातुओं के मिश्रण होते है, जिन्हें जीगलर-नाटा उत्प्रेरक कहा जाता है। सामान्यतः उपयोग में लिया जाने वाला उत्प्रेरक टाइटेनियम क्लोराईड तथा ट्राईएथिल एल्यूमिनियम का मिश्रण [Al (C2+H5)3 + TiCl4] होता है।
इस विधी में असंतृप्त वाइनिल एकलक अणु सक्रिय उत्प्रेरक के साथ उपसहसंयोजक बन्ध बनाता है, इसलिये इस प्रकार के बहुलीकरण को उपसहसंयोजक बहुलीकरण कहते है।
क्रियाविधी :- जीगलर-नाटा सक्रिय उत्प्रेरक अणु में Ti परमाणु चार क्लोरीन तथा एल्किल समूह से बन्धित होता है। इसके अतिरिक्त टाइटेनियम परमाणु के पास एक रिक्त उपसहसंयोजन स्थान रहता है।
प्रथम पद में एकलक एल्कीन अणु टाईटेनियम की रिक्त सहसंयोजकता द्वारा एक π संकुल बनाता है।
संकुल द्वितीय पद में टाइटेनियम द्वारा बन्धित एथिल समूह समपक्ष योग द्वारा एल्कीन पर स्थानान्तरित हो जाता है। इस प्रक्रिया में टाइटेनियम परमाणु पर एक अन्य रिक्त संयोजकता बन जाती है।
नये रिक्त सक्रिय स्थान पर एक अन्य एल्कीन अणु π संकुल बनाता है तथा अभिक्रिया की पुनरावृति द्वारा लम्बी बहुलक श्रंखला बनती जाती है।
जीगलर-नाटा बहुलकीकरण के विशेष लाभ है कि इस विधी द्वारा रेखीय श्रंखला वाले बहुलक प्राप्त होते है। जबकि अन्य योगात्मक विधियों द्वारा शाखित बहुलक बनते है।
जीगलर - नाटा उत्प्रेरण द्वारा योग त्रिविम विशिष्टता के साथ होता है। तथा विधि द्वारा बने बहुलक क्रिष्टलीय तथा उच्च गलनांक वाले होते है।
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