कृष्णिका विकिरण (Black Body Rediation) कृष्णिका ऐसे पिण्ड के रूप में परिभाषित की जा सकती है जो स्वयं पर आपतित सभी आवृतियों (तर...
कृष्णिका विकिरण
(Black Body Rediation)
कृष्णिका ऐसे पिण्ड के रूप में परिभाषित की जा सकती है जो स्वयं पर आपतित सभी आवृतियों (तरंगदैध्र्यों) के विकिरणों को पूर्णतया अवशोषित कर लेती है। कृष्णिका के प्रतिरूप के लिये कोटर पर विचार करते है जिसकी दीवारें एक निश्चित ताप पर है तथा भीतरी दीवारें काली की हुई होती है। कोटर की दीवार के परमाणु विद्युत चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करते है, जो कोटर के भीतर की दिवारों से परावर्तित एवं अवशोषित हो सकते है। कोटर के भीतर का सम्पूर्ण भाग विद्युत चुम्बकीय विकिरणों से भर जाता है तथा साम्यावस्था में होता है। अर्थात परमाणुओं द्वारा प्रति सैकण्ड उत्सर्जित उर्जा का मान, उनके द्वारा प्रति सैकण्ड अवशोषित उर्जा के मान के बराबर होता है। उष्मीय साम्यावस्था में कोटर के भीतर विकिरणों का उर्जा घनत्व नियत रहता है। कोटर की दीवार में बने एक छिद्र से विकिरण बाहर उत्सर्जित होता रहता है। कोटर के छिद्र से बाहर निकलने वाले विकिरण को कृष्णिका विकिरण (Black Body Radiation) कहते है।
कृष्णिका के लिये उत्सर्जन क्षमता (Eλ) तथा तरंगदैध्र्य (λ) के मध्य ग्राफ :
कृष्णिका विकिरणों का विश्लेषण सर्वप्रथम, लूमर (Lummer) तथा प्रिंगशाइम (Pringsheim) द्वारा 1899 में किया गया था। स्तर तथा प्रिंगशाइम ने विभिन्न तापों पर कृष्णिका की स्पेक्टमी उत्सर्जन क्षमता (Eλ) तथा तरंगदैध्र्य (λ) का मापन किया। कृष्णिका के लिये उत्सर्जन क्षमता (Eλ) तथा तरंगदैध्र्य (λ) के मध्य ग्राफ को स्पेक्टमी उर्जा वितरण ग्राफ कहते है।
कृष्णिका के लिये उत्सर्जन क्षमता (Eλ) तथा तरंगदैध्र्य (λ) के मध्य ग्राफ :
कृष्णिका विकिरणों का विश्लेषण सर्वप्रथम, लूमर (Lummer) तथा प्रिंगशाइम (Pringsheim) द्वारा 1899 में किया गया था। स्तर तथा प्रिंगशाइम ने विभिन्न तापों पर कृष्णिका की स्पेक्टमी उत्सर्जन क्षमता (Eλ) तथा तरंगदैध्र्य (λ) का मापन किया। कृष्णिका के लिये उत्सर्जन क्षमता (Eλ) तथा तरंगदैध्र्य (λ) के मध्य ग्राफ को स्पेक्टमी उर्जा वितरण ग्राफ कहते है।