राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Industry In Rajasthan) राजस्थान में कृषि पर आधारित उद्योगों में सूती वस्त्र उद्...
राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग
(Cotton Textile Industry In Rajasthan)
(Cotton Textile Industry In Rajasthan)
राजस्थान में कृषि पर आधारित उद्योगों में सूती वस्त्र उद्योग प्रमुख है। राजस्थान निर्माण के समय यहाँ सूती कपड़े की कुल 7 मिलें थीं। जो मार्च 1990 में 34 तक हो गई किन्तु 2001 में घटकर इनकी संख्या 22 ही रह गई। सूती वस्त्र से ही जुड़ी धागा बनाने वाली मिल , जिनकी संख्या 50 है। वास्तव में वर्ष 2009-10 में राज्य में सूती वस्त्र निर्माण विषयक 68 कारखाने हैं।
राज्य में प्रथम सूती कपड़ा मिल 1889 में ‘दी कृष्णा मिल्स लिमिटेड' के नाम से ब्यावर में स्थापित की गई। वर्ष 1906 में ब्यावर में ही दूसरी और 1955 में यहाँ तीसरी मिल स्थापित की गई। इस प्रकार ब्यावर सूती वस्त्र उद्योग का केन्द्र बन गया। वर्ष 1988 में भीलवाड़ा में, 1942 में पाली में तथा 1946 में श्रीगंगानगर में सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गईं। स्वतन्त्रता के पश्चात्सूती वस्त्र उद्योग का पर्याप्त विस्तार हुआ। कोटा, भीलवाड़ा, किशनगढ़, जयपुर, उदयपुर, गंगापुर, बांसवाड़ा, आबूरोड, अलवर, गुलाबपुरा, भवानीमण्डी, जोधपुर आदि नगरों में सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गईं। आज यावर, किशनगढ़, भीलवाड़ा, पाली, उदयपुर, श्रीगंगानगर, कोटा, सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं। फरवरी 2009 में केन्द्र सरकार ने भीलवाड़ा को वस्त्र निर्यातक नगर का दर्जा दिया है।
राज्य में स्थापित अधिकांश मिलों की मशीनें पुरानी हो जाने से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। यद्यपि आधुनिकीकरण के उपाय किए जा रहे हैं, किन्तु वे सीमित हैं। राज्य में सूती धागे एवं सूती वस्त्र का उत्पादन वर्ष 2009-10 में क्रमशः 1058 लाख किग्रा एवं 498 लाख मी का उत्पादन किया गया। राज्य में निजी क्षेत्र की 17 सूती वस्त्र मिलें कार्यरत हैं।